कहानी 'वो जो भी है, मुझे पसंद है' - स्वाति तिवारी | Hindi Kahani by Swati Tiwari
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कहानियाँ रिश्तों की
"तो क्या कहूँ?" मेरे अंदर शब्द लिसलिसे से हो आए थे, कुछ सूझ ही नहीं रहा था उसके तर्क को नकारने के लिए ऊपर से गुस्सा आ रहा था मन कर रहा था एक जोरदार थप्पड़ जड़ दूँ उसके गाल पर।
"मेम आप तो सिंगमंड फ्रायड को पढ़ती रही है न, आपने ही एक बार फ्रायड को पढाते हुए समझाया था ना? आप तो मनोविज्ञान की टीचर हैं। मेम मुझे लगता है फ्रायड ठीक ही कहते रहे हैं यह विकृति (परवरसन) नहीं यह उलटाव (इनवरसन) है वे इसे बीमारी विमारी नहीं मानते?"
"फ्रायड सिर्फ पढने ने और समझने के मनोवैज्ञानिक है पगली, जीवन में उतारने के नहीं। तुम समझ क्यों नहीं रही मेरा मतलब?"
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