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जुलाई महीने में भारत के १४ करोड़ लोगो की जमा की हुई आमदनी समाप्तः हो जाएँगी - संतोष भारतीय

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अमेरिका से खबर आयी है की , दुनिया की सबसे पुरानी कंपनियों में से एक ब्रुक्स ब्रदर्स उसने अपना काम बंद कर दिया है। उसे इतनी आर्तिक हानि होगयी उसने घोषणा करदी की अब वो आगे अपना काम बंद कर रहे है। ब्रोक्स ब्रदर्स अमेरिका की ऐसी कपडा बनाने वाली कंपनी है सिल्ले सिलिये कपडे जो २०० साल से बाजार में थी और जिसने अमेरिका के ४० से भूतपूर्व प्रेसिडेंटस के लिए कपडे बनाये।आखिर में उसने ओबामा के लिए कपडा बनाया मुझे नहीं लगता की ट्रम्प के लिए बना या नहीं बनाया क्युकी ट्रम्प का नाम अभी तक मेरी नज़र में नहीं आया है पर हां ४० भूतपूर्व राष्ट्रपतियो के लिए उन्होने कपडे बनाय। इसका मतलब है की दुनिया में बड़ी कंपनियों के बंद होने का सिलसिला अब तेज़ी से शुरू हो जाएगा और इसी को ध्यान में रख के मुझे हिंदुस्तान में एक क्रेडिबल सर्वे और एक चेतावनी याद आती है , जो २ महीने पहले आयी थी जिसेमें ये अंदाज़ा लगाया गया था की जुलाई महीने में भारत के १४ करोड़ लोगो की जमा की हुई आमदनी समाप्तः हो जाएँगी। मतलब जो सेविंग्स है उनके बैंक में जो उन्होंने बचत की है वो समाप्तः हो जाएगी।ये एक खतरनाक चेतावनी थी १४ करोड़ लोग बहौत होते है और अगर उनके बैंक अकाउंट में से उनकी बचत का पैसा खर्च हो जाता है तो वो करेंगे क्या ? एक परिवार में मोटे तौर पर हम ४ या ५ लोग मानते है, और अब जब लोग नौकरिया ख़तम होने या काम ख़तम होनी की वजह से अब अपने अपने गाओं गए है , तब वह पर उनके लिए काम नहीं है और जो गाओं में लोग थे उनका भी भोज मिलकर के एक परिवार के ऊपर बहौत सख्त इस्थितिया पैदा कर रहा है। हिन्दुतान की सरकार इस स्थिति से अवगत है की नहीं मुझे नहीं पता, मै यह मानता हूँ की सरकार है तो अवगत होगी ही और इसके बारे में सोचना समझना भी शुरू कर दिया होगा , पर अभी तक कही से झलक नहीं मिली है की सरकार इस स्थिति की गम्बिरता को समाज रही है। १४ करोड़ लोगो के पास पैसे ख़तम होने का मतलब उन जीने के सादन का समाप्तः होना है। अगर जीने का सदन समाप्तः होता है तो वो कैसे जियेंगे , इसका मतलब है की देश में लॉ एंड आर्डर की बड़ी समस्या उत्पन होने वाली है। और जो संकेत मिल रहे है जीने खबरे ना टेलीविज़न दिखा रहा है , ना अखबार दिखा रहा है और जीने रोकने की हरचंद कोशिश हो रही है , वो खबर यह है की जगह जगह लूट शुरू हो गयी है , दिल्ली जैसी जगहों में खड़ी हुई गाड़ी का शीशा तोड़ करके गाड़ी के अंदर रखा सामान लोग उठा ले जा रहे है और लोग उने रोक नहीं पा रहे है। चलती हुई कार के निचे तेल भरा गुब्बारा फेंक करके कारो को रोक कर के और जब कार में बैठे लोग निचे देखने उतरते है की की क्या कार में गड़बड़ी हुई तो कार के सारा सामान चुराया जा रहा है यह अभी हाल का डेवेलप पोजीशन है। मै ये इसलिए कह रहा हूँ क्युकी अगर कानून वेवास्ता की सिथि लूट मार की वजह से पैदा हुई उसे कोई भी लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी नहीं रोक सकती , पुलिस तो बिलकुल नहीं रोक सकती , क्युकी आम तोर पर लोग यह मानते है की पुलिस का हिस्सा हर तरह की चोरी या डकैती या बेमानी में होता है , उस इलाके के जितने गिरहो है वो पुलिस से बिना साठ घाट किये इस बात को नहीं करते यह आम तौर पर हिंदुस्तान में लोगो का मन्ना है। अगर ऐसी सिथि होती है तो दिल्ली का क्या होगा अभी दिल्ली के दंगो में एक रिपोर्ट में कहा की बहार के लोग आये ट्रको और बसों में बैठ के और उन्होंने पूर्व दिल्ली में दंगे किये और लौट गए। पुलिस क्या कह रही है मै उसकी बात नहीं कह रहा हूँ मै इंडिपेंडेंट रिपोर्ट की बात कर रहा हूँ । अगर ऐसे ही दिल्ली के चारो तरफ बसै हुए लोग ट्रको , बसों , ट्रैक्टरों में आये और किसी किसी मोहल्ले को लूट के चले गए तो क्या स्तिथि बनेगी , तब यह स्तिथि बनेगी की लोग मांग करेंगे की आपातकाल लगाओ और आपातकाल लगाने का मतलब है आज की तारिक़ में नागरिको की सारी अधिकार समाप्तः होना , और उन लोगो को अहसामित अधिकार मिल जाना खासकर लॉ इंफोर्स्मेंट एजेंसी को जो अब तक अपना काम करने में सफल नहीं रही है यह स्थिति देश के सामने खड़ी है कोई भी आर्थिक संबवाना नज़र नहीं आती , किसी भी तरह के बेरोजगारों को काम मिले यह समाज मैं नहीं आता , गाओं में मनरेगा वाली योजना में काफी पड़े लिखे लोग शिक्षा में तो हाई हैं लगीं जो ऊंचे पदों पर रहे हैं और जो छोड़ कर अपने गाओं गए हैं वो भी मनरेगा में काम कर रहे हैं। हलाकि इसके रिपोर्ट विस्तार से आणि चाइये थी लेकिन कही पर भी उस तरह से रिपोर्ट नहीं आयी हैं। सरकार के सामने एक बड़ा सवाल इसी जुलाई ख़त्म होते होते या अगस्त की सुरुवात में आना वाला हैं जिसके लिए सरकार शायद तैयार नहीं हैं। गल्फ की स्तिथि ने भी चिंतित कर दिया हैं खड़ी देशो में भारतीयों की निकलने का सिलसिला कुवैत में शुरू कर दिया हैं , और लगभग सभी खड़ी देशो ने ये तय कर लिया हैं की हम होने यहाँ से नॉन मुस्लिम इंडियन को निकल देंगे , पहली खेत कुवैत से ८ लाख लोगो की हमारे यहाँ आने वाली हैं , हमने पहले ही चेतावनी दी थी की जिस तरीके से दुबई से २ लोगो एक बड़ा ग्रुप बना कर के अभियान चला रहे हैं उससे खड़ी देशो से भारतीयों की नौकरी अगर समाप्तः होती हैं तो भारत की क्या अर्तिक स्तिथि होगी , एक महिला हैं जो दुबई में थी जिन्होंने घणा का कैंपेन वही रहने वाले मुसलमानो के खिलाफ चलाया और वो अपने को भारत में विश्व हिन्दू परिषद् का सदस्य कहती हैं और वह पर उन्होंने सोचा की हम यहाँ के मुसलमानो के ऊपर घणा का अभियान चला कर हम अपनी ववाइये अपने देश में लेंगे और सरकार हमे अपना घणा का राजदूत बना लेंगी और वही बात वह पर रहने वाले एक व्यापारी ने की जो अपने को हिन्दू कहते हैं और वह के मुसलमानो को बुरी तरह से गालिया देना शुरू की और यह सब सच मूछ नहीं हुआ पब्लिक मीटिंगको भी नहीं हुआ , ये हुआ सोशल मीडिया के ऊपर और तब सबसे पहले UAE के राजकुमारी ने कहा की ये कैसे लोग हैं जो हमारे यहाँ रहते हैं , हमारे यहाँ कमाते हैं , हमारा कहते हैं और हमे गालिया देते हैं। हमे सोचना पड़ेगा इनको हम रखने या ना रखे। जब ये चेतावनी आई थी तब ही हम चौक गए थे की खड़ी देशी में कुछ ऐसा होने वाला हैं जो भारत के लिए बहौत भरी मुसीबत तैयार करेगा। इसके बार यह कुवैत में हुआ , क़तर में हुआ और अब पुरे खड़ी देशो में सारे साशको ने मिलकर के ये तय कर लिया हैं या यहाँ के सरकारों ने की हम अपने यहाँ से नॉन मुस्लिम काम करने वाले लोगो को वह से निकलेंगे और उनके जगा पर अपने देश के लोगो को काम देंगे। यह स्थिति भारत में क्या संकट पैदा कारगी मै नहीं कह सकता क्युकी जो लोग लौटेंगे यहाँ पर वो यह पर आ कर के एक घणा का व्यापार करेंगे और दूसरा भारत की चरमराती हुई अर्थवेवस्ता को और दबाओ में लाएंग। एक तरह से दुबई से निकलने वाले लोगो के लिए स्वागत किया जा सकता हैं और वो सिर्फ यह हैं की भारत से बैंको से पैसा चुराने वाले लोग थे जिन्होंने लोन लिया १०० करोड़ तक , २०० करोड़ तक वह सब देश छोड़ करके दुबई में चले गए हैं , पैस उन्होंने स्टीपेन कर लिया कम्पनिया उनकी बंद हो गयी अब वो NIP हुई सरकार ने उनका पैसा माफ़ कर दिया और वह सब वह पर १०० , २०० , ३०० करोड़ लेकर के दुबई में मस्ती मर रहे थे नए व्यापार के एवेन्ये तलाश कर रहे थे , अगर वो सब भी निकले जाते हैं तो उनका स्वागत होना चाइये ताकि वो हिंदुस्तान में आये और कानून की शिकंजे में जो उन्होंने पैसा लिया हैं उस पैसा का वो भुक्तान करे , लेकिन शायद ऐसा होगा नहीं क्युकी इसमें सिस्टम के बड़े बड़े लोग शामिल हैं तो वह यह होने नहीं देंग उनकी मदत ही करेंगे लेकिन जो भी स्थिति जुलाई के बाद आने वाली हैं वो स्तिथि बहौत खतरनाक स्तिथि हैं और साकार को उसका सामना करने के लिए तैयार रहना चाइए।
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अमेरिका से खबर आयी है की , दुनिया की सबसे पुरानी कंपनियों में से एक ब्रुक्स ब्रदर्स उसने अपना काम बंद कर दिया है। उसे इतनी आर्तिक हानि होगयी उसने घोषणा करदी की अब वो आगे अपना काम बंद कर रहे है। ब्रोक्स ब्रदर्स अमेरिका की ऐसी कपडा बनाने वाली कंपनी है सिल्ले सिलिये कपडे जो २०० साल से बाजार में थी और जिसने अमेरिका के ४० से भूतपूर्व प्रेसिडेंटस के लिए कपडे बनाये।आखिर में उसने ओबामा के लिए कपडा बनाया मुझे नहीं लगता की ट्रम्प के लिए बना या नहीं बनाया क्युकी ट्रम्प का नाम अभी तक मेरी नज़र में नहीं आया है पर हां ४० भूतपूर्व राष्ट्रपतियो के लिए उन्होने कपडे बनाय। इसका मतलब है की दुनिया में बड़ी कंपनियों के बंद होने का सिलसिला अब तेज़ी से शुरू हो जाएगा और इसी को ध्यान में रख के मुझे हिंदुस्तान में एक क्रेडिबल सर्वे और एक चेतावनी याद आती है , जो २ महीने पहले आयी थी जिसेमें ये अंदाज़ा लगाया गया था की जुलाई महीने में भारत के १४ करोड़ लोगो की जमा की हुई आमदनी समाप्तः हो जाएँगी। मतलब जो सेविंग्स है उनके बैंक में जो उन्होंने बचत की है वो समाप्तः हो जाएगी।ये एक खतरनाक चेतावनी थी १४ करोड़ लोग बहौत होते है और अगर उनके बैंक अकाउंट में से उनकी बचत का पैसा खर्च हो जाता है तो वो करेंगे क्या ? एक परिवार में मोटे तौर पर हम ४ या ५ लोग मानते है, और अब जब लोग नौकरिया ख़तम होने या काम ख़तम होनी की वजह से अब अपने अपने गाओं गए है , तब वह पर उनके लिए काम नहीं है और जो गाओं में लोग थे उनका भी भोज मिलकर के एक परिवार के ऊपर बहौत सख्त इस्थितिया पैदा कर रहा है। हिन्दुतान की सरकार इस स्थिति से अवगत है की नहीं मुझे नहीं पता, मै यह मानता हूँ की सरकार है तो अवगत होगी ही और इसके बारे में सोचना समझना भी शुरू कर दिया होगा , पर अभी तक कही से झलक नहीं मिली है की सरकार इस स्थिति की गम्बिरता को समाज रही है। १४ करोड़ लोगो के पास पैसे ख़तम होने का मतलब उन जीने के सादन का समाप्तः होना है। अगर जीने का सदन समाप्तः होता है तो वो कैसे जियेंगे , इसका मतलब है की देश में लॉ एंड आर्डर की बड़ी समस्या उत्पन होने वाली है। और जो संकेत मिल रहे है जीने खबरे ना टेलीविज़न दिखा रहा है , ना अखबार दिखा रहा है और जीने रोकने की हरचंद कोशिश हो रही है , वो खबर यह है की जगह जगह लूट शुरू हो गयी है , दिल्ली जैसी जगहों में खड़ी हुई गाड़ी का शीशा तोड़ करके गाड़ी के अंदर रखा सामान लोग उठा ले जा रहे है और लोग उने रोक नहीं पा रहे है। चलती हुई कार के निचे तेल भरा गुब्बारा फेंक करके कारो को रोक कर के और जब कार में बैठे लोग निचे देखने उतरते है की की क्या कार में गड़बड़ी हुई तो कार के सारा सामान चुराया जा रहा है यह अभी हाल का डेवेलप पोजीशन है। मै ये इसलिए कह रहा हूँ क्युकी अगर कानून वेवास्ता की सिथि लूट मार की वजह से पैदा हुई उसे कोई भी लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी नहीं रोक सकती , पुलिस तो बिलकुल नहीं रोक सकती , क्युकी आम तोर पर लोग यह मानते है की पुलिस का हिस्सा हर तरह की चोरी या डकैती या बेमानी में होता है , उस इलाके के जितने गिरहो है वो पुलिस से बिना साठ घाट किये इस बात को नहीं करते यह आम तौर पर हिंदुस्तान में लोगो का मन्ना है। अगर ऐसी सिथि होती है तो दिल्ली का क्या होगा अभी दिल्ली के दंगो में एक रिपोर्ट में कहा की बहार के लोग आये ट्रको और बसों में बैठ के और उन्होंने पूर्व दिल्ली में दंगे किये और लौट गए। पुलिस क्या कह रही है मै उसकी बात नहीं कह रहा हूँ मै इंडिपेंडेंट रिपोर्ट की बात कर रहा हूँ । अगर ऐसे ही दिल्ली के चारो तरफ बसै हुए लोग ट्रको , बसों , ट्रैक्टरों में आये और किसी किसी मोहल्ले को लूट के चले गए तो क्या स्तिथि बनेगी , तब यह स्तिथि बनेगी की लोग मांग करेंगे की आपातकाल लगाओ और आपातकाल लगाने का मतलब है आज की तारिक़ में नागरिको की सारी अधिकार समाप्तः होना , और उन लोगो को अहसामित अधिकार मिल जाना खासकर लॉ इंफोर्स्मेंट एजेंसी को जो अब तक अपना काम करने में सफल नहीं रही है यह स्थिति देश के सामने खड़ी है कोई भी आर्थिक संबवाना नज़र नहीं आती , किसी भी तरह के बेरोजगारों को काम मिले यह समाज मैं नहीं आता , गाओं में मनरेगा वाली योजना में काफी पड़े लिखे लोग शिक्षा में तो हाई हैं लगीं जो ऊंचे पदों पर रहे हैं और जो छोड़ कर अपने गाओं गए हैं वो भी मनरेगा में काम कर रहे हैं। हलाकि इसके रिपोर्ट विस्तार से आणि चाइये थी लेकिन कही पर भी उस तरह से रिपोर्ट नहीं आयी हैं। सरकार के सामने एक बड़ा सवाल इसी जुलाई ख़त्म होते होते या अगस्त की सुरुवात में आना वाला हैं जिसके लिए सरकार शायद तैयार नहीं हैं। गल्फ की स्तिथि ने भी चिंतित कर दिया हैं खड़ी देशो में भारतीयों की निकलने का सिलसिला कुवैत में शुरू कर दिया हैं , और लगभग सभी खड़ी देशो ने ये तय कर लिया हैं की हम होने यहाँ से नॉन मुस्लिम इंडियन को निकल देंगे , पहली खेत कुवैत से ८ लाख लोगो की हमारे यहाँ आने वाली हैं , हमने पहले ही चेतावनी दी थी की जिस तरीके से दुबई से २ लोगो एक बड़ा ग्रुप बना कर के अभियान चला रहे हैं उससे खड़ी देशो से भारतीयों की नौकरी अगर समाप्तः होती हैं तो भारत की क्या अर्तिक स्तिथि होगी , एक महिला हैं जो दुबई में थी जिन्होंने घणा का कैंपेन वही रहने वाले मुसलमानो के खिलाफ चलाया और वो अपने को भारत में विश्व हिन्दू परिषद् का सदस्य कहती हैं और वह पर उन्होंने सोचा की हम यहाँ के मुसलमानो के ऊपर घणा का अभियान चला कर हम अपनी ववाइये अपने देश में लेंगे और सरकार हमे अपना घणा का राजदूत बना लेंगी और वही बात वह पर रहने वाले एक व्यापारी ने की जो अपने को हिन्दू कहते हैं और वह के मुसलमानो को बुरी तरह से गालिया देना शुरू की और यह सब सच मूछ नहीं हुआ पब्लिक मीटिंगको भी नहीं हुआ , ये हुआ सोशल मीडिया के ऊपर और तब सबसे पहले UAE के राजकुमारी ने कहा की ये कैसे लोग हैं जो हमारे यहाँ रहते हैं , हमारे यहाँ कमाते हैं , हमारा कहते हैं और हमे गालिया देते हैं। हमे सोचना पड़ेगा इनको हम रखने या ना रखे। जब ये चेतावनी आई थी तब ही हम चौक गए थे की खड़ी देशी में कुछ ऐसा होने वाला हैं जो भारत के लिए बहौत भरी मुसीबत तैयार करेगा। इसके बार यह कुवैत में हुआ , क़तर में हुआ और अब पुरे खड़ी देशो में सारे साशको ने मिलकर के ये तय कर लिया हैं या यहाँ के सरकारों ने की हम अपने यहाँ से नॉन मुस्लिम काम करने वाले लोगो को वह से निकलेंगे और उनके जगा पर अपने देश के लोगो को काम देंगे। यह स्थिति भारत में क्या संकट पैदा कारगी मै नहीं कह सकता क्युकी जो लोग लौटेंगे यहाँ पर वो यह पर आ कर के एक घणा का व्यापार करेंगे और दूसरा भारत की चरमराती हुई अर्थवेवस्ता को और दबाओ में लाएंग। एक तरह से दुबई से निकलने वाले लोगो के लिए स्वागत किया जा सकता हैं और वो सिर्फ यह हैं की भारत से बैंको से पैसा चुराने वाले लोग थे जिन्होंने लोन लिया १०० करोड़ तक , २०० करोड़ तक वह सब देश छोड़ करके दुबई में चले गए हैं , पैस उन्होंने स्टीपेन कर लिया कम्पनिया उनकी बंद हो गयी अब वो NIP हुई सरकार ने उनका पैसा माफ़ कर दिया और वह सब वह पर १०० , २०० , ३०० करोड़ लेकर के दुबई में मस्ती मर रहे थे नए व्यापार के एवेन्ये तलाश कर रहे थे , अगर वो सब भी निकले जाते हैं तो उनका स्वागत होना चाइये ताकि वो हिंदुस्तान में आये और कानून की शिकंजे में जो उन्होंने पैसा लिया हैं उस पैसा का वो भुक्तान करे , लेकिन शायद ऐसा होगा नहीं क्युकी इसमें सिस्टम के बड़े बड़े लोग शामिल हैं तो वह यह होने नहीं देंग उनकी मदत ही करेंगे लेकिन जो भी स्थिति जुलाई के बाद आने वाली हैं वो स्तिथि बहौत खतरनाक स्तिथि हैं और साकार को उसका सामना करने के लिए तैयार रहना चाइए।
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